गाजीपुर से नसीम खान की रिपोर्ट |
गाजीपुर। देखा जाए तो आजकल गांव गांव नगर नगर बस एक ही जन चर्चा लोगों के बीच में जोरो पर सुनने को मिल रही है कि स्कूल संचालक/ प्रबन्धन मैसेज एवं अन्य माध्यमों से फीस जमा करवाने के लिए बार-बार दबाव बना रहे हैं जबकि दर्जनों से ज्यादा अभिभावकों ने बताया कि कोरोना काल मे आँनलाइन पढाई के नाम पर हम लोगो /अभिभावकों को स्कूल द्बारा बार-बार मोबाइल पर फीस जमा करवाने के मैसेज व फोन कर कर ऑनलाइन पढ़ाई स्टार्ट होने की बात कर रहे है। तो तमाम स्कूल संचालक महोदय जवाब देने की कृपा करें कि अभिभावक आपको किस बात की फ़ीस जमा करे, जब उनका बच्चा स्कूल गया ही नही..ऑनलाइन पढ़ाई अभिभावकों से स्कूल प्रशासन पूछ कर तो शुरू करवाई नही और न ही अभिभावकों ने कहा था कि आप ऑनलाइन पढ़ाई बच्चो की शुरू करवाओ…क्या अभिभावकों से ऑनलाइन पढ़ाई करने से पहले स्कूलो द्बारा पूछा गया कि क्या आप के पास बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई के लिये एंड्रायड मोबाइल या लैपटॉप है कि नही..आज अभी भी ग्रामीण या शहरी क्षेत्रों में बहुत सा ऐसा भी घर हैं कि एंड्राइड मोबाइल नही होगा। पहले बच्चे अगर गलती से मोबाइल स्कूल में ले आते थे तो उनके मोबाइल आप लोग जब्त कर लेते और पेरेंट्स को बुलाकर स्कूल में मोबाइल से होने वाले नुकसान के बारे में सलाह देने लगते थे। और आज आप उसी मोबाइल में ऑनलाइन पढ़ाई को सही ठहरा रहे है। तो ये दोहरा मापदण्ड क्यों श्रीमान जी? इसलिये ताकि आप एक, आध घण्टे ऑनलाइन पढ़ाई का बहाना बनाकर अभिभावको से फीस के नाम पर पैसे वसूल कर सके।
अभिभावक कहाँ से फीस लेकर आये? जब अभिभावक खुद सरकार के कहने पर अपने काम धंधे, नोकरिया छोड़कर घर बैठ गए, तो इस आपातकालीन महामारी में कहाँ से आपको फीस देंगे। अभिभावकों के पास कोई जादुई चिराग तो है नही, जो रगड़ कर उससे पैसे आ जाएंगे और आपको दे देंगे। दूसरी बात क्यों पैसे देंगे जब बच्चा स्कूल गया ही नही।
आप कहते है कि आपको टीचरों को तन्खवाह देनी है। तो कृपया आप बताये की अभिभावक क्या आपके बिजनेस पार्टनर है। जो अगर आपको घाटा/ मुनाफा हो रहा है, तो वो आपको दे। जब स्कूल संचालन में हर साल आपको लाखो करोड़ो रुपये प्रॉफिट हो रहा था। तो क्या आपने कभी अभिभावको को कोई रियायत दी है। उल्टा हर साल फीस, रि-ऐडमिशन फीस, अनेको फंक्शन फीस, कमीशन वाली किताबे, स्कूल वाहन (क्षमता से दुगुनी संख्या बच्चों की) फीस, तो कभी बिलडिंग के नाम पर पैसा बढ़ाकर अभिभावको का शोषण करतें आ रहे हैं। कुछ अभिभावको ने भी अपने यहाँ कार्य करने वाले कर्मचारियों को वेतन अपनी जेब से दिया है। बड़ी-बड़ी कम्पनियो/फेक्ट्री के मालिकों ने अपनी जेब से दिया है। तो टीचरों को वेतन भी आपको जेब से ही देना होगा, क्योंकि टीचरों ने ही आपको हर साल (कठिन परिश्रम करके) कमा कमा कर दिया है।
कृपया फालतू की बातों से या बच्चों के नाम काटने को धमकी देकर अगर आप ये सोच रहे है। कि आप फीस अभिभावकों से जबरदस्ती वसूल लेंगे तो आप गलतफहमी में है। हम सिर्फ हक की बात कर रहे है कि जब तक स्कूल बंद रहेंगे तब तक कि फीस हम आपको नही दे सकते। आप चाहे ऑनलाइन पढ़ाई कराओ या मत कराओ, क्योंकि हमारे बच्चो को तो कुछ समझ मे नही आ रहा हैं। इस ऑनलाइन पढ़ाई के चक्कर मे बच्चे मोबाइल पर गेम खेल रहे है। यू ट्यूब पर फालतू के वीडियोज देख रहे है। मोबाइल नही देने पर खाना पीना छोड़ रहे है। उनकी आँखों की रोशनी और मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है, और यही बात आप पेरेंट्स और बच्चो को समझाते थे, अगर बच्चो की आंखों पर मस्तिष्क या स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ा तो क्या आप उस की जिम्मेदारी लेते है…? बार-बार फीस जमा करवाने के लिये मेसेज न करे और न ही हम पर दबाव बनाये। जब तक स्कूल बंद रहेंगे तब तक हम आपको फीस नही दे सकते। हद तो तब हो जाती है जब कुछ विद्यालय संचालक मोबाइल पर मैसेज कर अमुक तारीख तक फीस जमा नहीं करेंगे तो आपके बच्चों का नाम काट दिया जाएगा। ज़रा आप सोचिए यह धमकी नहीं है तो और क्या है इस पर अभिभावक गण शांत, लाचार व चुप्पी साधे बैठे हुए हैं वैश्विक महामारी कोरोना वायरस में पैसे का इंतजाम हो तो हो कैसे, क्योंकि अभिभावकों के सामने रोजी-रोटी और जीवन जीने के लिए आवश्यक वस्तुओं के लाले पड़े हुए हैं।